आज दिनांक 22 अप्रैल, 2015 को दक्षिणी दिल्ली से सांसद श्री रमेश बिधूड़ी जी ने सदन और सरकार का ध्यान दिल्ली में अस्थायी शिक्षकों की दयनीय स्थिति की ओर आकर्षित कराते हुए कहा कि, आज दिल्ली में लगभग 17 हजार से अधिक अनियमित शिक्षक हैं, जिनमें से अधिकतर 10 वर्षों से भी अधिक समय से कार्यरत हैं, और बड़े शर्म की बात है कि देश की राजधानी में शिक्षकों को अपना अधिकार पाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है तथा उन्हें किसी से मिलने भी नही दिया जा रहा है। दिल्ली की वर्तमान सरकार इन शिक्षकों को नियमित करने के अपने चुनावी वादों को भूल चुकी है और जब शिक्षक उनका यह वादा उन्हें याद दिला रहे हैं तो दिल्ली सरकार न सिर्फ इसे अनदेखा कर रही है बल्कि शिक्षकों के साथ बदसलूकी भी की जा रही है। सभी निर्णय जनमत के सुझाव पर लेने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री उनकी मॉंगों को ध्यान में रखने की बात तो दूर रही केवल मात्र टीचरों की बात न करे तो सभी सरकारी विभागों के 1 लाख से ज्यादा अस्थायी कर्मचारियों को चुनाव में लॉली-पॉप देकर दिल्ली सरकार ने इन्हें स्थायी करने का आश्वासन दिया था, परन्तु अध्यापक वो श्रेणी है जिसे हमने भगवान से ऊपर माना है, मनुष्य कितना भी बड़ा बन जाये अपने गुरू के सामने हमेशा नतमस्तक होता है, यह हमारी सभ्यता ही नही बल्कि आज की जरूरत भी है। ‘गुरू गोबिन्द दोउ खडे़ काके लागूॅं पॉंए, बलिहारी गुरू आपने गोबिन्द दियो बताए।।
श्री बिधूड़ी जी ने भारत सरकार से अनुरोध करते हुए कहा कि इस विषय में सरकार का सीधा हस्तक्षेप इस देश के सभी शिक्षकों के मनोबल के लिए राम बाण का काम करेगा जिससे शिक्षक अपनी पूर्ण दक्षता के साथ भारत एवं नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण में सीधा सहयोग कर सकेगें।