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बिधूड़ीः

आज दिनांक 13 सितंबर, 2019 सांसद रमेश बिधूड़ी ने राजस्व डीडीए निगम अधिकारियों के साथ धूलसिरस बामनौली और भरथल गॉंव का दौरा किया। इस दौरान जनता को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जहॉं गॉंव की जमीन अधिकृत करने के बावजूद वहॉं मूलभूत सुविधाओं से गॉंव को दूर रखा गया तथा केजरीवाल सरकार द्वारा किसानों को अल्टरनेट प्लॉट देने के लिए डीडीए से आज तक सिफारिश तक नहीं की गई है। दूसरी तरफ किसानों ने जहॉं सरकार के इस रवैये से परेशान होकर अपनी जमीन प्राइवेट कॉलोनीजर्स को दे दी थी, जिससे अनियमित कॉलोनियॉं बस गई। 15 वर्षों के कांग्रेस के शसन में मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित जी ने जनता को गुमराह किया था, उसी की  तर्ज पर पिछले चार-पॉंच वर्ष में केजरीवाल जिन्होंने 2015 चुनाव के पहले कहा था कि सरकार बनने के 1 साल में सभी कॉलोनियों को पास कर देंगे आज जनता को गुमराह करने का कर रहे है प्रयास। क्या वह जानते नहीं थे कि कॉलोनियों को संवैधानिक रूप से ही पास किया जा सकता है। जिन संवैधानिक जरूरतों को पूरा करने का एक बार भी उन्होंने प्रयास तक नहीं किया, बल्कि फिर कॉलोनी वासियों को गुमराह करने का कर रहे है प्रयास कि 2015 में हमने विधान सभा में प्रस्ताव पास कर दिया, अब केंद्र करे। इसी प्रकार के दर्जनोंभर प्रस्ताव शीला दीक्षित जी ने 15 वर्ष मुख्यमंत्री रहते हुए कई बार भेजे थे  और तब केंद्र में कांग्रेस की ही सरकार थी, तब भी अनियमित कॉलोनियो को नियमित नहीं किया जा सका था। 2008 के रेगुलेशन के 5.3 और 5.4 में स्पष्ट है कि अनियमित कॉलोनियों को पास करने के पहले उनका लेआउट प्लान तैयार करना तथा किस आधार पर और कितना डेवलपमेंट चार्ज लिया जाना है यह तय करने का अधिकार दिल्ली सरकार का है। केजरीवाल ने 2015 के प्रस्ताव में ना ही इन सभी कॉलोनियों का लेआउट प्लान तैयार किया और ना ही वह आधार जिस पर डेवलपमेंट चार्ज लिया जाना है। इसी प्रकार 2007 में शीला दीक्षित जी प्रोविजनल सर्टिफिकेट बटवा कर अनियमित कॉलोनियों में रह रहे निवासियों की आंखों में धूल झोंक कर एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर बैठ गई थीं। उन्हंे भी पता था चूंकि अनियमित कॉलोनियों का मामला कोर्ट में विचाराधीन है इसलिए बिना नियमों का पालन किए इन कॉलोनियों को नियमित नहीं किया जा सकता। फिर भी उन्होंने अपने वोट बैंक के लिए 2007 में प्रोविजनल सर्टिफिकेट बांटने की नौटंकी की थी। क्या केजरीवाल इन नियमों को नहीं जानते? शीला दीक्षित जी की ही तर्ज पर केजरीवाल भी फिर एक बार जनता को गुमराह कर सत्ता हासिल करना चाहते हैं। उन्होंने भी केन्द्र सरकार के बार-बार कहने के बावजूद 2015 के प्रस्ताव में ना तो कॉलोनियों का  लेआउट प्लान तैयार करवाया और ना ही डेवलपमेंट चार्ज का आधार तय किया। कैसी विडंबना है कि अनियमित कॉलोनियों के विषय से ध्यान हटाने के लिए पर्यावरण को लेकर प्रेस वार्ता कर दी। दिल्ली में पेरीफेरल रोड प्रस्तावित है जिसके लिए दिल्ली सरकार को 486 करोड रुपए देने हैं, आज तक केजरीवाल ने उन पैसे का भुगतान नहीं किया है। इसी प्रकार प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार को इलेक्ट्रिक बसें खरीदनी थी जो आज तक नहीं खरीदी गई हैं। दिल्ली का पोल्यूशन कम करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल बनाया गया है जिसके बनने के बाद लगभग 6 लाख व्यवसायिक वाहन बिना दिल्ली में प्रवेश किए दूसरे राज्यों में जाते हैं जिससे दिल्ली में प्रदूषण काफी हद तक नियंत्रित हुआ है। यदि केजरीवाल दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के लिए इतना ही गंभीर हैं तो पेरीफेरल रोड़ के लिए भुगतान एवं इलेक्ट्रिक बसें खरीदें ना कि ऑड-इवन की नौटंकी कर आम जनता के लिए मुशीबतें खड़ी करें। इसी के साथ उन्होंने यह भी बताया कि 11 सितंबर को महावीर एनक्लेव वार्ड में भी विकास कार्यों का जायजा लेने के लिए दौरा किया था और आज धूलसिरस, बामनौली व भरथल गांव का दौरा भी किया। इन दोनों ही निरीक्षणों में केजरीवाल की ओच्छी राजनीति के कारण एवं उनकी शह पर सूचना देने के बावजूद भी दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (क्न्ैप्ठ), बाढ़ नियंत्रण विभाग, जल बोर्ड एवं डी.एस.आई.आई.डी.सी के कोई भी अधिकारी उपस्थित नहीं रहे जिसके कारण विकास के कई कार्यों में बाधा आई। यह सभी अधिकारी दिल्ली सरकार के अधीन है इसलिए इस विषय में सांसद ने मुख्य सचिव दिल्ली एवं अपर मुख्य सचिव को शिकायत भी भेजी है।