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       जिला स्तरीय दिशा समिति की बैठक में सांसद बिधूड़ी ने लिया केन्द्र सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रम/योजनाओं का जायजा….

       बिधूड़ी ने प्रेस वार्ता कर बताए कृषि सुधार विधेयक के फायदे और किसानों को किया विरोधी दलों के भ्रामक प्रचार से जागरूक… 

आज दक्षिणी दिल्ली सासंद श्री रमेश बिधूड़ी ने जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की अपने संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दक्षिण जिले के उपायुक्त श्री बी.एम मिश्रा व दिल्ली सरकार के सम्बंधित अधिकारियों के साथ बैठक की। जिसमें श्री बिधूड़ी ने जिले की दिशा समिति के चेयरमैन होने के नाते केन्द्र सरकार द्वारा संचालित विकास कार्यक्रमों व विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के मुद्दों पर चर्चा की।

बैठक में श्री बिधूड़ी ने केन्द्र सरकार के कार्यक्रम/योजनाओं का लाभ गरीब जनता तक सही प्रकार से पहॅुंच रहा है या नही व जिले स्तर पर योजनाओं के कार्यान्वयन की क्या स्थिति है इसकी सम्बंधित अधिकारियों से जानकारी ली। इसके पश्चात बिधूड़ी ने दिशा समिति के अंतर्गत सरकार की योजनाओं पर संबंधित विभागों की कार्य स्थिति ठीक ना होने, ढिलाई से कार्य करने व उनके पास संचालित कार्यक्रम/योजनाओं की पर्याप्त जानकारी उपलब्ध ना होने पर चिंता जताई। इसके बाद बिधूड़ी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत प्रति व्यक्ति 5 किलो मुफ्त दीपावली तक अनाज, प्रधानमंत्री रोजगार योजना से हर जिले में 10 जरूरतमंद लोगों को 25 लाख तक की सब्सिडी का लोन, 2024 तक हर घर नल से जल व गंदे पानी की निकासी के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ‘नमामि गंगे’ द्वारा तालाबों का नवीनीकरण आदि विभिन्न योजनाओं द्वारा कार्यों की प्रगति की निगरानी हेतु अगले माह तक विस्तृत विवरण प्रदान का अधिकारियों से आग्रह किया।

     

कृषि बिल पर प्रेस वार्ता

इसी कड़ी में आज सांसद श्री बिधूड़ी ने अपने लोधी इस्टेट स्थित सरकारी आवास पर कृषि बिल पर प्रेस वार्ता की। इस दौरान महरौली जिलाध्यक्ष श्री जगमोहन महलावत उपस्थित थे। श्री बिधूड़ी ने इस प्रेस वार्ता के माध्यम से मोदी सरकार द्वारा ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयक लाने पर किसानों के हित में प्रावधानों की विस्तार से जानकारी दी और विपक्षी पार्टियों द्वारा बिल को लेकर किए जा रहे भ्रामक प्रचार से किसानांे को जागरूक किया। उन्होंने बताया कि इस बिल के अन्दर कुछ विरोधी पार्टियॉं विशेष रूप से कांग्रेस राजनीति कर रही है, जबकि इस बिल में एक भी क्लॉज ऐसी नही है जो किसानों को नुकसान पहु्ॅंचाती हो, यह बिल पूर्ण रूप से 100 फीसदी किसानों के हित में है, वह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि मंडियॉं अब खत्म कर दी जाएॅगी, जबकि ऐसा नहीं है, यह तथ्यों से परे है, मंडियॉं ज्यों कि त्यों सभी रहेंगी, वह दुष्प्रचार कर रहे हैं एम.एस.पी. खत्म कर दी जाएंगी, उन्होंने बताया एम.एस.पी का इस बिल से कोई लेना-देना नहीं है। एम.एस.पी प्रतिवर्ष सरकार यूॅंही तय करती रहेगी, किसान चाहंे अपना अनाज मंडी में बेचे या खुले बाजार में बेचे अब इससे किसान की बाउंडेशन राज्य की मंडियों से खत्म कर दी गई है अब किसान अपनी मर्जी से पूरे भारत को एक मंडी के रूप में विस्तृत बनाकर भारत की किसी भी मंडी में अपनी उपज को अपनी इच्छा मूल्यों के अनुसार बेच सकता है, जिससे किसान एक दबाव और गुलामी की प्रवृति से निकलकर बाहर आएगा। यह किसानों को लाभ देने वाला बिल है, इस बिल के अंदर ठेकेदार किसान से कोई भी कॉन्ट्रैक्ट करेगा तो वहॉं पर 30 दिन के अंदर अगर कॉन्ट्रैक्ट में कोई भ्रान्ति व कुवितरण हो जाता है तो एस.डी.एम को अधिकार है कि उसका निबटान करे, पहले एसडीएम पंचायत के माध्यम से दो व्यक्ति किसान व दो व्यक्ति ठेकेदार बुलाकर फेसला तय करेगा और नहीं करेगा तो 30 दिन में एसडीएम को उसका फेसला देना पड़ेगा, फेसले में भी एसडीएम बाध्य है कि वो किसान को किसी भी तरह से जुर्माना/पेनल्टी नहीं लगा सकता, ज्यादा से ज्यादा किसान करार को रद्द करना चाहता है तो किसान ने जो एडवांस में लिया है उसे वापस लौटाएगा वो भी केवल तब, जब किसान की फसल बिक जाएगी, अगर किसान की फसल बिकने पर भी वह पैसा पूरा नही देता है तो उसके घर, जमीन, खेत से कोई लेना-देना नही है, करार जो होगा वह फसल का होगा ना कि जमीन व खेत का होगा, इस करार के माध्यम से अगर किसान से कोई करारदाता करार करेगा तो करार करते वक्त जो कीमत तय की जायेगी उसके अंतर्गत अगर ओले पड़ जायें, बाढ आदि से फसल को नुकसान होता है तो किसान को इसकी कीमत का पूरा पैसा देने का करारदाता हकदार होगा, ऐसी स्थिति में किसान को पूरा पैसा दिया जाएगा चाहें वह ठेकेदार इंश्योरेंस से ले या कहीं से भी ले किसान को उससे कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए एम.एस.पी से ऊपर हुए करार में किसी भी नुकसान का दायित्व केवल करारदाता का होगा किसान का नहीं होगा किसी भी सूरत में। श्री बिधूड़ी ने बताया कि इस बिल में इस प्रकार के अनेकों प्रावधान हैं जो किसान उसकी माली हालत से ऊपर उठाने का काम करेंगे।