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दक्षिणी दिल्ली सांसद श्री रमेश बिधूड़ी ने आज प्रातः पत्रकारों सहित छत्तरपुर विधान सभा स्थित भाटी माईन्स में दिल्ली सरकार के स्कूल का निरीक्षण किया। जहां बालिकाएं कक्षाओं में अध्ययन कर रही थीं। बिधूड़ी ने पत्रकारों के साथ स्कूल के क्लास रूम, टॉयलेट व पेयजल व्यवस्था का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने पाया की किस प्रकार लगभग 3000 बाल/बालिकाएं कुल 20 क्लास रूम्स में टीन की छत के नीचे इस भीषण गर्मी में पढ़ाई करते हैं, सभी कक्षाओं की खिड़कियॉं टूटी हुई हैं, धूल ऑंखों में लगती है, पंखे खराब स्थिति में हैं, 6-6 घंटे तक लाइट नहीं आती, पीने के पानी की व्यवस्था गंदगी के समान बनी हुई है, टॉयलेट बदतर हालत में हैं। सांसद ने बताया कि 3000 बच्चे उक्त परेशानियों में रहकर किस तरह पढाई कर पाते होंगे इसका अंदाजा दिल्ली सरकार के इन स्कूलों में आ कर लगाया जा सकता है। लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि विश्वस्तरीय शिक्षा मॉडल का ढोल बजाने वाले केजरीवाल जी की ओच्छी राजनीति से प्रेरित महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालिवाल भाटी के निगम स्कूल में पहॅुंचकर वहॉं की व्यवस्थाओं को तो देखती हैं परन्तु भाटी में ही स्थित दिल्ली सरकार के इस स्कूल को देखने नहीं आती जहॉं 20 क्लास रूम्स में 3 हजार बच्चे कई शिफ्टों में असुविधाओं के साथ कठिन परिस्थितियों में पढ़ते हैं, उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करते हुए दिल्ली सरकार के इस स्कूल में भी आना चाहिए था जो एमसीडी स्कूल से कुछ ही दूरी पर था, मैं पूछना चाहता हूॅं कि क्या इस स्कूल में गरीबों के बच्चे नहीं पढते? अगर वह यहॉं आती और देखती तो केजरीवाल व मनीष सिसोदिया ने जो विदेशों से डेलीगेशन बुला कर विश्वस्तरीय शिक्षा मॉंडल का उदाहरण पेश कर दिल्ली के लोगों की ऑंखों में धूल झोंकी है उसकी पोल खुल जाती, इस कारण से वह यहॉं नहीं आईं। बिधूड़ी ने आगे बताया कि स्वाति मालिवाल जो कि चुनाव से पूर्व केजरीवाल की ‘परिवर्तन नाम की संस्था’ में काम करती थी, इस संस्था पर विदेशों से व टुकड़े-टुकड़े गैंग आदि से फंडिंग लेने का आरोप था, परन्तु सत्ता में आने के बाद केजरीवाल द्वारा उन्हें महिला आयोग की अध्यक्षा का पद दिया जाता है और सभी सरकारी सुविधाएॅं उन्हें प्रदान की जाती हैं, यह पद उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने समाज के क्षेत्र आदि में अच्छे कार्य किए हों। बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल राष्ट्रद्रोह और भ्रष्टाचार के आखंड में डूब कर किस प्रकार से गरीबों की सेवा के नाम पर उन्हें गुमराह कर रहे हैं, इस स्कूल की दुर्दशा इस बात का उदाहरण है। वह चाहें तो वन विभाग जिसके वह स्वयं मालिक हैं, इसकी क्लिअरेंस लेकर टीन के कमरों में बने इस स्कूल को पक्के निर्माण में परिवर्तित कर सकते हैं, लेकिन आज तक वह बगैर किसी विभाग के एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने एक भी बैठक अधिकारियों की नहीं ली, केवल दिल्ली की जनता के पैसे का दुरूपयोग कर कभी हिमाचल, उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात घूमने में लगे रहते हैं और दिल्ली के गरीब लोग सुविधाओं से वचित रह कर नारकीय जीवन जी रहे हैं।